UPI new rules: अगर आप रोजाना Google Pay, PhonePe या Paytm से डिजिटल पेमेंट करते हैं, तो 10 अगस्त 2025 से आपके लिए कुछ बड़े बदलाव लागू हो गए हैं। ये बदलाव खास तौर पर UPI (Unified Payments Interface) के इस्तेमाल को और ज्यादा सुरक्षित, तेज और स्थिर बनाने के लिए किए गए हैं। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने नए नियम जारी किए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा असर आपके बैंक बैलेंस चेक करने और अकाउंट लिंक देखने की लिमिट पर पड़ेगा।
दिन में सिर्फ 50 बार ही चेक कर पाएंगे बैलेंस
पहले UPI ऐप पर बैंक बैलेंस देखने की कोई सीमा नहीं थी, लेकिन अब 10 अगस्त से नियम सख्त हो गए हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार, आप दिन में केवल 50 बार ही अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस देख सकेंगे। NPCI का कहना है कि बार-बार बैलेंस देखने से सर्वर पर जरूरत से ज्यादा लोड पड़ता है, जिससे कभी-कभी सिस्टम स्लो या आउटेज हो सकता है। इसी वजह से यह लिमिट तय की गई है।
अकाउंट लिंक देखने की भी लिमिट तय
सिर्फ बैलेंस चेक ही नहीं, अब आपके मोबाइल नंबर से लिंक हुए बैंक अकाउंट की डिटेल देखने की भी सीमा तय कर दी गई है। यूजर्स दिन में 25 बार ही अकाउंट लिंक चेक कर पाएंगे। यह बदलाव इसलिए लाया गया है ताकि सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव कम हो और डिजिटल पेमेंट का अनुभव ज्यादा स्मूद हो सके।
मोबाइल नंबर बदलने पर खतरे की घंटी
इसके अलावा, एक अहम नियम पहले से लागू है, जिसे लेकर भी सावधान रहना जरूरी है। 1 अप्रैल 2025 से यह प्रावधान है कि अगर आपका मोबाइल नंबर लगातार 90 दिनों तक इस्तेमाल नहीं होता, तो टेलीकॉम कंपनी उसे किसी और यूजर को अलॉट कर सकती है। ऐसे में उस नंबर से जुड़े आपके UPI अकाउंट और UPI ID ऑटोमेटिक बंद हो जाएंगे। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने मोबाइल नंबर और बैंक लिंकिंग की समय-समय पर जांच करते रहें, ताकि किसी भी तरह की पेमेंट समस्या से बचा जा सके।
ट्रांजैक्शन और वॉलेट लिमिट में राहत
आरबीआई ने भी UPI ट्रांजैक्शन लिमिट में कुछ पॉजिटिव बदलाव किए हैं। उदाहरण के तौर पर, UPI 123PAY के लिए प्रति ट्रांजैक्शन लिमिट ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है। इसके साथ ही UPI Lite वॉलेट की ट्रांजैक्शन लिमिट भी बढ़ाई गई है, जिससे छोटे और मीडियम लेवल के डिजिटल पेमेंट करने वालों को बड़ी राहत मिलेगी।
अब पेमेंट होगा और भी तेज
नए नियमों में एक और बड़ा फायदा यह है कि अब आपका UPI पेमेंट लगभग 15 सेकंड में प्रोसेस हो जाएगा। पहले पेंडिंग ट्रांजैक्शन को क्लियर होने में ज्यादा समय लग सकता था, लेकिन अब सिस्टम को इस तरह अपग्रेड किया गया है कि पेमेंट पेंडिंग स्टेटस जल्दी क्लियर हो जाएगा।
सुरक्षा को लेकर नए कदम
सिर्फ स्पीड और लिमिट ही नहीं, सुरक्षा पर भी फोकस बढ़ा है। SEBI ने रिटेल निवेशकों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए UPI ID वेरिफिकेशन टूल लाने की योजना बनाई है। यह टूल यूजर्स को किसी भी UPI ID की असली या नकली होने की पुष्टि करने में मदद करेगा। इससे ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में कमी आने की उम्मीद है।
क्यों जरूरी हैं ये बदलाव?
पिछले कुछ सालों में UPI का इस्तेमाल रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही सिस्टम पर लोड और साइबर सिक्योरिटी रिस्क भी बढ़े हैं। NPCI और आरबीआई का मानना है कि इन नए नियमों से UPI नेटवर्क ज्यादा सुरक्षित, स्थिर और भरोसेमंद बनेगा, ताकि यूजर्स को डिजिटल पेमेंट में किसी तरह की परेशानी न हो और वे निश्चिंत होकर लेन-देन कर सकें।